SHLOKA
इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः।
मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते।।13.18।।
मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते।।13.18।।
PADACHHED
इति, क्षेत्रम्, तथा, ज्ञानम्, ज्ञेयम्, च_उक्तम्, समासत:,
मद्भक्त:, एतत्_विज्ञाय, मद्भावाय_उपपद्यते ॥ १८ ॥
मद्भक्त:, एतत्_विज्ञाय, मद्भावाय_उपपद्यते ॥ १८ ॥
ANAVYA
इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं च ज्ञेयं
समासत: उक्तम्, मद्भक्त: एतत् विज्ञाय मद्भावाय उपपद्यते।
समासत: उक्तम्, मद्भक्त: एतत् विज्ञाय मद्भावाय उपपद्यते।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
इति [इस प्रकार], क्षेत्रम् [क्षेत्र], तथा [तथा], ज्ञानम् [ज्ञान], च [और], ज्ञेयम् [जानने योग्य ((परमात्मा का स्वरूप))],
समासत: [संक्षेप में], उक्तम् [कहा गया।], मद्भक्त: [मेरा भक्त], एतत् [इसको], विज्ञाय [तत्त्व से जानकर], मद्भावाय [मेरे स्वरूप को], उपपद्यते [प्राप्त होता है।],
समासत: [संक्षेप में], उक्तम् [कहा गया।], मद्भक्त: [मेरा भक्त], एतत् [इसको], विज्ञाय [तत्त्व से जानकर], मद्भावाय [मेरे स्वरूप को], उपपद्यते [प्राप्त होता है।],
ANUVAAD
इस प्रकार क्षेत्र तथा ज्ञान और जानने योग्य ((परमात्मा का स्वरूप))
संक्षेप में कहा गया। मेरा भक्त इसको तत्त्व से जानकर मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।
संक्षेप में कहा गया। मेरा भक्त इसको तत्त्व से जानकर मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।