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Chapter 13 – क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोग/क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग Shloka-18

Chapter-13_1.18

SHLOKA

इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः।
मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते।।13.18।।

PADACHHED

इति, क्षेत्रम्, तथा, ज्ञानम्‌, ज्ञेयम्‌, च_उक्तम्‌, समासत:,
मद्भक्त:, एतत्_विज्ञाय, मद्भावाय_उपपद्यते ॥ १८ ॥

ANAVYA

इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं च ज्ञेयं
समासत: उक्तम्, मद्भक्त: एतत्‌ विज्ञाय मद्भावाय उपपद्यते।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

इति [इस प्रकार], क्षेत्रम् [क्षेत्र], तथा [तथा], ज्ञानम् [ज्ञान], च [और], ज्ञेयम् [जानने योग्य ((परमात्मा का स्वरूप))],
समासत: [संक्षेप में], उक्तम् [कहा गया।], मद्भक्त: [मेरा भक्त], एतत् [इसको], विज्ञाय [तत्त्व से जानकर], मद्भावाय [मेरे स्वरूप को], उपपद्यते [प्राप्त होता है।],

ANUVAAD

इस प्रकार क्षेत्र तथा ज्ञान और जानने योग्य ((परमात्मा का स्वरूप))
संक्षेप में कहा गया। मेरा भक्त इसको तत्त्व से जानकर मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।

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