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Gita Chapter-11 Shloka-7

Chapter-11_1.7

SHLOKA

इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम्।
मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टुमिच्छसि।।11.7।।

PADACHHED

इह_एकस्थम्‌, जगत्‌_कृत्स्नम्, पश्य_अद्य, सचराचरम्‌,
मम, देहे, गुडाकेश, यत्‌_च_अन्यत्‌_द्रष्टुम्_इच्छसि ॥ ७ ॥

ANAVYA

(हे) गुडाकेश! अद्य इह मम देहे एकस्थं सचराचरं कृत्स्नं
जगत्‌ पश्य (तथा) अन्यत्‌ च यत्‌ द्रष्टुम् इच्छसि (तत्) (पश्य)।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

(हे) गुडाकेश! [हे अर्जुन!], अद्य [अब], इह [इस], मम [मेरे], देहे [शरीर में], एकस्थम् [एक जगह स्थित], सचराचरम् [चराचर के सहित], कृत्स्नम् [सम्पूर्ण],
जगत् [जगत् को], पश्य (तथा) [देखो (तथा)], अन्यत् [और], च [भी], यत् [जो ((कुछ))], द्रष्टुम् [देखना], इच्छसि (तत्) [चाहते हो, (वह), {(पश्य) [देखो]।]}

ANUVAAD

हे अर्जुन! अब इस मेरे शरीर में एक जगह स्थित चराचर के सहित सम्पूर्ण
जगत्‌ को देखो (तथा) और भी जो ((कुछ)) देखना चाहते हो, (वह) (देखो)।

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