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Chapter 11 – विश्वरूपदर्शनम्/विश्वरूपदर्शनयोग Shloka-39

Chapter-11_1.39

SHLOKA

वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः
प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः
पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते।।11.39।।

PADACHHED

वायु:_यम:_अग्नि:_वरुण:, शशाङ्क:, प्रजापति:_त्वम्‌, प्रपितामह:_च, नम:, नम:_ते_अस्तु, सहस्त्र-कृत्व:,
पुन:_च, भूय:_अपि, नम:, नम:_ते ॥ ३९ ॥

ANAVYA

त्वं वायु: यम: अग्नि: वरुण: शशाङ्क: प्रजापति: च प्रपितामह: (असि)
ते सहस्त्रकृत्व: नम:, नम: अस्तु; ते भूय: अपि पुन: च नम:, नम:।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

त्वम् [आप], वायु: [वायु,], यम: [यमराज,], अग्नि: [अग्नि,], वरुण: [वरुण,], शशाङ्क: [चन्द्रमा,], प्रजापति: [प्रजा के स्वामी ((ब्रह्मा))], च [और], प्रपितामह: (असि) [ब्रह्मा के ((भी)) पिता हैं।]
ते [आप के लिये], सहस्त्रकृत्व: [हजारों बार], नम: [नमस्कार!], नम: [नमस्कार], अस्तु [हो!], ते [आप के लिये], भूय: [फिर], अपि [भी], पुन: च [बार-बार], नम: [नमस्कार!], नम: [नमस्कार!!]

ANUVAAD

आप वायु, यमराज, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा, प्रजा के स्वामी ((ब्रह्मा)) और ब्रह्मा के ((भी)) पिता हैं।
आपके लिये हजारों बार नमस्कार! नमस्कार हो! आप के लिये फिर भी बार-बार नमस्कार! नमस्कार!!

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