SHLOKA
एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर।
द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम।।11.3।।
द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम।।11.3।।
PADACHHED
एवम्_एतत्_यथा_आत्थ, त्वम्_आत्मानम्, परमेश्वर,
द्रष्टुम्_इच्छामि, ते, रूपम्_ऐश्वरम्, पुरुषोत्तम ॥ ३ ॥
द्रष्टुम्_इच्छामि, ते, रूपम्_ऐश्वरम्, पुरुषोत्तम ॥ ३ ॥
ANAVYA
(हे) परमेश्वर! त्वम् आत्मानं यथा आत्थ एतत् एवम् (एव) (वर्तते,) (किंतु) (हे) पुरुषोत्तम!
ते ऐश्वरं रूपम् (अहम्) द्रष्टुं इच्छामि ।
ते ऐश्वरं रूपम् (अहम्) द्रष्टुं इच्छामि ।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
(हे) परमेश्वर! [हे परमेश्वर!], त्वम् [आप], आत्मानम् : [अपने को], यथा [जैसा], आत्थ [कहते हैं,], एतत् [यह ((ठीक))], एवम् (एव) (वर्तते) [ऐसा ही है,], {(किंतु) [परंतु]}, (हे) पुरुषोत्तम! [हे पुरुषोत्तम!],
ते [आपके], ऐश्वरं रूपम् [((ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त)) ऐश्वर रूप को], {(अहम्) [मैं]}, द्रष्टुम् [((प्रत्यक्ष)) देखना], इच्छामि [चाहता हूँ।],
ते [आपके], ऐश्वरं रूपम् [((ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त)) ऐश्वर रूप को], {(अहम्) [मैं]}, द्रष्टुम् [((प्रत्यक्ष)) देखना], इच्छामि [चाहता हूँ।],
ANUVAAD
हे परमेश्वर! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ((ठीक)) ऐसा (ही है), (परंतु) हे पुरुषोत्तम!
आपके ((ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त)) ऐश्वर रूप को (मैं) ((प्रत्यक्ष)) देखना चाहता हूँ।
आपके ((ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त)) ऐश्वर रूप को (मैं) ((प्रत्यक्ष)) देखना चाहता हूँ।