SHLOKA
दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः।।11.12।।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः।।11.12।।
PADACHHED
दिवि, सूर्य-सहस्त्रस्य, भवेत्_युगपत्_उत्थिता,
यदि, भा:, सदृशी, सा, स्यात्_भास:_तस्य, महात्मन: ॥ १२ ॥
यदि, भा:, सदृशी, सा, स्यात्_भास:_तस्य, महात्मन: ॥ १२ ॥
ANAVYA
दिवि सूर्यसहस्त्रस्य युगपत् उत्थिता (या) भा: भवेत्
सा (अपि) तस्य महात्मन: भास: सदृशी यदि (एव) स्यात् ।
सा (अपि) तस्य महात्मन: भास: सदृशी यदि (एव) स्यात् ।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
दिवि [आकाश में], सूर्यसहस्त्रस्य [हजार सूर्यों के], युगपत् [एक साथ], उत्थिता [उदय होने से उत्पन्न], {(या) [जो]}, भा: [प्रकाश], भवेत् [हो,],
सा (अपि) [वह (भी)], तस्य [उस], महात्मन: [विश्वरूप परमात्मा के], भास: [प्रकाश के], सदृशी [समान], यदि (एव) [कदाचित् (ही)], स्यात् [हो।],
सा (अपि) [वह (भी)], तस्य [उस], महात्मन: [विश्वरूप परमात्मा के], भास: [प्रकाश के], सदृशी [समान], यदि (एव) [कदाचित् (ही)], स्यात् [हो।],
ANUVAAD
आकाश में हजार सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न (जो) प्रकाश हो,
वह (भी) उस विश्वरूप परमात्मा के प्रकाश के समान कदाचित् (ही) हो।
वह (भी) उस विश्वरूप परमात्मा के प्रकाश के समान कदाचित् (ही) हो।