Chapter 11 – विश्वरूपदर्शनम्/विश्वरूपदर्शनयोग Shloka-12

Chapter-11_1.12

SHLOKA

दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः।।11.12।।

PADACHHED

दिवि, सूर्य-सहस्त्रस्य, भवेत्‌_युगपत्‌_उत्थिता,
यदि, भा:, सदृशी, सा, स्यात्‌_भास:_तस्य, महात्मन: ॥ १२ ॥

ANAVYA

दिवि सूर्यसहस्त्रस्य युगपत्‌ उत्थिता (या) भा: भवेत्‌
सा (अपि) तस्य महात्मन: भास: सदृशी यदि (एव) स्यात्‌ ।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

दिवि [आकाश में], सूर्यसहस्त्रस्य [हजार सूर्यों के], युगपत् [एक साथ], उत्थिता [उदय होने से उत्पन्न], {(या) [जो]}, भा: [प्रकाश], भवेत् [हो,],
सा (अपि) [वह (भी)], तस्य [उस], महात्मन: [विश्वरूप परमात्मा के], भास: [प्रकाश के], सदृशी [समान], यदि (एव) [कदाचित् (ही)], स्यात् [हो।],

ANUVAAD

आकाश में हजार सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न (जो) प्रकाश हो,
वह (भी) उस विश्वरूप परमात्मा के प्रकाश के समान कदाचित् (ही) हो।

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