Chapter 11 – विश्वरूपदर्शनम्/विश्वरूपदर्शनयोग Shloka-1

Chapter-11_1.1

SHLOKA

अर्जुन उवाच -
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।11.1।।

PADACHHED

अर्जुन उवाच -
मदनुग्रहाय, परमम्‌, गुह्यम्_अध्यात्म-सञ्ज्ञितम्,
यत्_त्वया_उक्तम्‌, वच:_तेन, मोह:_अयम्‌, विगत:, मम ॥ १ ॥

ANAVYA

अर्जुन उवाच -
मदनुग्रहाय त्वया यत् परमं गुह्यम् अध्यात्मसञ्ज्ञितं वच:
उक्तं तेन मम अयं मोह: विगत:।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

अर्जुन उवाच [अर्जुन ने कहा -], मदनुग्रहाय [मुझ पर अनुग्रह करने के लिये], त्वया [आपने], यत् [जो], परमम् [परम], गुह्यम् [गोपनीय], अध्यात्मसञ्ज्ञितम् [अध्यात्म विषयक], वच: [वचन अर्थात् उपदेश],
उक्तम् [कहा,], तेन [उससे], मम [मेरा], अयम् [यह], मोह: [अज्ञान], विगत: [नष्ट हो गया है।]

ANUVAAD

अर्जुन ने कहा - मुझ पर अनुग्रह करने के लिये आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात् उपदेश
कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है।

Leave a Reply