SHLOKA (श्लोक)
अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्।।10.42।।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्।।10.42।।
PADACHHED (पदच्छेद)
अथवा, बहुना_एतेन, किम्, ज्ञातेन, तव_अर्जुन,
विष्टभ्य_अहम्_इदम्, कृृत्स्नम्_एकांशेन, स्थित:, जगत् ॥ ४२ ॥
विष्टभ्य_अहम्_इदम्, कृृत्स्नम्_एकांशेन, स्थित:, जगत् ॥ ४२ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
अथवा (हे) अर्जुन! एतेन बहुना ज्ञातेन तव किम् (प्रयोजनम्) (अस्ति),
अहम् इदं कृत्स्नं जगत् एकांशेन विष्टभ्य स्थित: (अस्मि)।
अहम् इदं कृत्स्नं जगत् एकांशेन विष्टभ्य स्थित: (अस्मि)।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
अथवा [अथवा], (हे) अर्जुन! [हे अर्जुन!], एतेन [इस], बहुना [बहुत], ज्ञातेन [जानने से], तव [तेरा], किम् [क्या], {(प्रयोजनम्) (अस्ति,) [प्रयोजन है?]},
अहम् [मै], इदम् [इस], कृत्स्नम् [सम्पूर्ण], जगत् [जगत् को ((अपनी योगशक्ति के))], एकांशेन [एक अंशमात्र से], विष्टभ्य [धारण करके], स्थित: (अस्मि) [स्थित हूँ।],
अहम् [मै], इदम् [इस], कृत्स्नम् [सम्पूर्ण], जगत् [जगत् को ((अपनी योगशक्ति के))], एकांशेन [एक अंशमात्र से], विष्टभ्य [धारण करके], स्थित: (अस्मि) [स्थित हूँ।],
हिन्दी भाषांतर
अथवा हे अर्जुन! इस बहुत जानने से तुम्हारा क्या (प्रयोजन है)?
मै इस सम्पूर्ण जगत् को ((अपनी योगशक्ति के)) एक अंशमात्र से धारण करके स्थित हूँ।
मै इस सम्पूर्ण जगत् को ((अपनी योगशक्ति के)) एक अंशमात्र से धारण करके स्थित हूँ।