SHLOKA
रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्।।10.23।।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्।।10.23।।
PADACHHED
रुद्राणाम्, शङ्कर:_च_अस्मि, वित्तेश:, यक्ष-रक्षसाम्,
वसूनाम्, पावक:_च_अस्मि, मेरु:, शिखरिणाम्_अहम् ॥ २३ ॥
वसूनाम्, पावक:_च_अस्मि, मेरु:, शिखरिणाम्_अहम् ॥ २३ ॥
ANAVYA
(अहं) रुद्राणां शङ्कर: अस्मि च यक्षरक्षसां वित्तेश: (अस्मि), अहम्
वसूनां पावक: अस्मि च शिखरिणाम् मेरूः (अस्मि)।
वसूनां पावक: अस्मि च शिखरिणाम् मेरूः (अस्मि)।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
{(अहं) [मैं]}, रुद्राणाम् [((एकादश)) रूद्रों में], शङ्कर: [शंकर], अस्मि [हूँ], च [और], यक्षरक्षसाम् [यक्ष तथा राक्षसों में], वित्तेश: (अस्मि) [धन का स्वामी ((कुबेर)) हूँ।], अहम् [मैं],
वसूनाम् [((आठ)) वसुओं में], पावक: [अग्नि], अस्मि [हूँ], च [और], शिखरिणाम् [शिखर वाले पर्वतों में], मेरूः (अस्मि) [सुमेरू पर्वत हूँ],
वसूनाम् [((आठ)) वसुओं में], पावक: [अग्नि], अस्मि [हूँ], च [और], शिखरिणाम् [शिखर वाले पर्वतों में], मेरूः (अस्मि) [सुमेरू पर्वत हूँ],
ANUVAAD
(मैं) ((एकादश)) रूद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी ((कुबेर)) हूँ। मैं
((आठ)) वसुओं में अग्नि हूँ और शिखर वाले पर्वतों में सुमेरू पर्वत हूँ।
((आठ)) वसुओं में अग्नि हूँ और शिखर वाले पर्वतों में सुमेरू पर्वत हूँ।