Chapter 1 – अर्जुनविषादयोग Shloka-7

Chapter-1_1.7

SHLOKA

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।1.7।।

PADACHHED

अस्माकम्, तु, विशिष्टा:, ये, तान्_निबोध, द्विजोत्तम,
नायका:, मम, सैन्यस्य, सञ्ज्ञार्थम्, तान्_ब्रवीमि, ते ॥ ७ ॥

ANAVYA

(हे) द्विजोत्तम! अस्माकं तु ये विशिष्टा: (सन्ति) तान् निबोध;
ते सञ्ज्ञार्थं मम सैन्यस्य (ये-ये) नायका: (सन्ति) तान् ब्रवीमि।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

(हे) द्विजोत्तम! [(हे) ब्राह्मणश्रेष्ठ!], अस्माकम् [अपने ((पक्ष)) में], तु [भी], ये [जो], विशिष्टा: [प्रधान], {(सन्ति) [(हैं),]}, तान् [उनको ((आप))], निबोध [समझ लीजिये।],
ते [आपकी], सञ्ज्ञार्थम् [जानकारी के लिये], मम [मेरी], सैन्यस्य [सेना के], {(ये ये) [जो-जो]}, नायका: [सेनापति] {(सन्ति) [(हैं),]}, तान् [उनको], ब्रवीमि [बतलाता हूँ।],

ANUVAAD

(हे) ब्राह्मणश्रेष्ठ! अपने ((पक्ष)) में भी जो प्रधान {(हैं)}, उनको ((आप)) समझ लीजिये।
आपकी जानकारी के लिये मेरी सेना के (जो-जो) सेनापति {(हैं)}, उनको बतलाता हूँ।

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