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Gita Chapter-1 Shloka-14

Chapter-1_1.14

SHLOKA

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।।1.14।।

PADACHHED

तत:, श्वेतै:_हयै:_युक्ते, महति, स्यन्दने, स्थितौ,
माधव:, पाण्डव:_च_एव, दिव्यौ, शङ्खौ, प्रदध्मतु: ॥ १४ ॥

ANAVYA

तत: श्वेतै: हयै: युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ
माधव: च पाण्डव: एव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतु:।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

तत: [इसके पश्चात्], श्वेतै: [सफेद], हयै: [घोड़ों से], युक्ते [युक्त], महति [उत्तम], स्यन्दने [रथ में], स्थितौ [बैठे हुए],
माधव: [श्रीकृष्ण], च [और], पाण्डव: [अर्जुन ने], एव [भी], दिव्यौ [अलौकिक], शङ्खौ [शंख], प्रदध्मतु: [बजाये।],

ANUVAAD

इसके पश्चात् सफेद घोड़ों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए
श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाये।

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