Chapter 7 – ज्ञानविज्ञानयोग Shloka-6

Chapter-7_7.6

SHLOKA (श्लोक)

एतद्योनीनि भूतानि सर्वाणीत्युपधारय।
अहं कृत्स्नस्य जगतः प्रभवः प्रलयस्तथा।।7.6।।

PADACHHED (पदच्छेद)

एतद्योनीनि, भूतानि, सर्वाणि_इति_उपधारय,
अहम्, कृत्स्नस्य, जगत:, प्रभव:, प्रलय:_तथा ॥ ६ ॥

ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)

इति उपधारय (यत्) सर्वाणि भूतानि एतद्योनीनि (वर्तन्ते)। (च) अहं
कृत्स्नस्य जगत: प्रभव: तथा प्रलय: (अस्मि)।

Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)

इति [((हे अर्जुन ! तुम)) ऐसा], उपधारय [समझो (कि)], सर्वाणि [सम्पूर्ण], भूतानि [भूत], एतद्योनीनि (वर्तन्ते) [इन दोनों प्रकृतियों से ही उत्पन्न होने वाले हैं], {(च) [और]}, अहम् [मैं],
कृत्स्नस्य [सम्पूर्ण], जगत: [जगत् का], प्रभव: [प्रभव ((उत्पत्ति का कारण))], तथा [तथा], प्रलय: [प्रलय ((विनाश)) हूँ ((अर्थात् सम्पूर्ण जगत् का मूल कारण हूँ।))],

हिन्दी भाषांतर

((हे अर्जुन ! तुम)) ऐसा समझो (कि) सम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से ही उत्पन्न होने वाले हैं (और) मैं
सम्पूर्ण जगत्‌ का प्रभव ((उत्पत्ति का कारण)) तथा प्रलय ((विनाश)) हूँ ((अर्थात्‌ सम्पूर्ण जगत्‌ का मूल कारण हूँ।))

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