SHLOKA
श्री भगवानुवाच -
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्।।3.37।।
काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्।।3.37।।
PADACHHED
श्री भगवान् उवाच -
काम:, एष:, क्रोधः, एष:, रजोगुण-समुद्भव:,
महाशन:, महापाप्मा, विद्धि_एनम्_इह, वैरिणम् ॥ ३७ ॥
काम:, एष:, क्रोधः, एष:, रजोगुण-समुद्भव:,
महाशन:, महापाप्मा, विद्धि_एनम्_इह, वैरिणम् ॥ ३७ ॥
ANAVYA
श्री भगवान् उवाच -
रजोगुणसमुद्रव: एष काम: (एव) क्रोधः (वर्तते), एष: महाशन:
महापाप्मा (च) (अस्ति) एनं (त्वम्) इह वैरिणं विद्धि।
रजोगुणसमुद्रव: एष काम: (एव) क्रोधः (वर्तते), एष: महाशन:
महापाप्मा (च) (अस्ति) एनं (त्वम्) इह वैरिणं विद्धि।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
श्री भगवान् उवाच -[श्री भगवान् ने कहा], रजोगुणसमुद्रव: [रजोगुण से उत्पन्न हुआ], एष: [यह], काम: (एव) [काम (ही)], क्रोधः [क्रोध {वर्तते [है]},], एष: [यह], महाशन: [बहुत खाने वाला अर्थात् भोगों से कभी न अघाने वाला], महापाप्मा (च) (अस्ति) [(और) महान् पापी है,], एनम् (त्वम्) [इसको ((ही)) (तुम)], इह [इस ((लोक)) में], वैरिणम् [वैरी], विद्धि [जानो।],
ANUVAAD
श्री भगवान् ने कहा - रजोगुण से उत्पन्न हुआ यह काम (ही) क्रोध है, यह बहुत खाने वाला अर्थात् भोगों से कभी न अघाने वाला (और)
महान् पापी है, इसको ((ही)) (तुम) इस ((लोक में)) में वैरी जानो।
महान् पापी है, इसको ((ही)) (तुम) इस ((लोक में)) में वैरी जानो।