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Gita Chapter-2 Shloka-38

Chapter-2_2.38

SHLOKA

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।2.38।।

PADACHHED

सुख-दुःखे, समे, कृत्वा, लाभालाभौ, जयाजयौ,
ततः, युद्धाय, युज्यस्व, न_एवम्‌, पापम्_अवाप्स्यसि ॥ ३८ ॥

ANAVYA

जयाजयौ लाभालाभौ सुख-दुःखे (च) समे कृत्वा
ततः युद्धाय युज्यस्व, एवं (युद्धेन) (त्वं) पापं न अवाप्स्यसि।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

जयाजयौ [जय-पराजय], लाभालाभौ [लाभ-हानि], सुख-दुःखे (च) [(और) सुख-दुःख को], समे [समान], कृत्वा [समझकर,],
ततः [उसके बाद], युद्धाय [युद्ध के लिये], युज्यस्व [तैयार हो जाओ,], एवम् [इस प्रकार], {(युद्धेन) [युद्ध करने से]}, {(त्वम्) [तुम]}, पापम् [पाप को], न [नहीं], अवाप्स्यसि [प्राप्त होगे।]'


ANUVAAD

जय-पराजय, लाभ-हानि (और) सुख- दुःख को एक समान समझकर, उसके बाद युद्ध के लिये तैयार हो जाओ; इस प्रकार (युद्ध करने से) (तुम) पाप को नहीं प्राप्त होगे ।। ३८ ।।

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