SHLOKA
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।2.19।।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।2.19।।
PADACHHED
यः, एनम्, वेत्ति, हन्तारम्, य:_च_एनम्, मन्यते, हतम्,
उभौ, तौ, न, विजानीत:, न_अयम्, हन्ति, न, हन्यते ॥ १९ ॥
उभौ, तौ, न, विजानीत:, न_अयम्, हन्ति, न, हन्यते ॥ १९ ॥
ANAVYA
य: एनं (आत्मानं) हन्तारं वेत्ति च य: एनं हतं मन्यते, तौ
उभौ न विजानीत:, (हि) अयं (आत्मा) (वस्तुतः) न (तु) हन्ति न (च) हन्यते।
उभौ न विजानीत:, (हि) अयं (आत्मा) (वस्तुतः) न (तु) हन्ति न (च) हन्यते।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
य: [जो], एनम् (आत्मानं) [इस (आत्मा) को], हन्तारम् [मारने वाला], वेत्ति [समझता है], च [तथा], य: [जो], एनम् [इसको], हतम् [मरा हुआ], मन्यते [मानता है,], तौ [वे],
उभौ [दोनों ही], न [नहीं], विजानीत: [जानते;] {(हि) [क्योंकि]}, अयम् (आत्मा) [यह (आत्मा)}, {(वस्तुतः [वास्तव में], न (तु) [न (तो) ((किसी को))], हन्ति [मारता है], न (च) [(और) न ((किसी के द्वारा))], हन्यते [मारा जाता है।],
उभौ [दोनों ही], न [नहीं], विजानीत: [जानते;] {(हि) [क्योंकि]}, अयम् (आत्मा) [यह (आत्मा)}, {(वस्तुतः [वास्तव में], न (तु) [न (तो) ((किसी को))], हन्ति [मारता है], न (च) [(और) न ((किसी के द्वारा))], हन्यते [मारा जाता है।],
ANUVAAD
जो इस (आत्मा) को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा हुआ मानता है, वे
दोनों ही नहीं जानते; (क्योंकि) यह (आत्मा) (वास्तव में) न (तो) ((किसी को)) मारता है (और) न ((किसी के द्वारा)) मारा जाता है।
दोनों ही नहीं जानते; (क्योंकि) यह (आत्मा) (वास्तव में) न (तो) ((किसी को)) मारता है (और) न ((किसी के द्वारा)) मारा जाता है।