Chapter 1 – अर्जुनविषादयोग Shloka-3

Chapter-1_1.3

SHLOKA

पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।1.3।।

PADACHHED

पश्य_एताम्‌, पाण्डु-पुत्राणाम्_आचार्य, महतीम्‌, चमूम्‌,
व्यूढाम्‌, द्रुपद-पुत्रेण, तव, शिष्येण, धीमता ॥ ३ ॥

ANAVYA

(हे) आचार्य! तव धीमता शिष्येण द्रुपदपुत्रेण व्यूढां
पाण्डुपुत्राणाम्‌ एतां महतीं चमूं पश्य।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

(हे) आचार्य! [(हे) आचार्य!], तव [आपके], धीमता [बुद्धिमान् ], शिष्येण [शिष्य], द्रुपदपुत्रेण [द्रुपद के पुत्र ((धृष्टद्युम्न)) के द्वारा], व्यूढाम् [व्यूहाकार खड़ी की हुई],
पाण्डुपुत्राणाम् [पांडु-पुत्रों की], एताम् [इस], महतीम् [बड़ी भारी], चमूम् [सेना को], पश्य [देखिये।],

ANUVAAD

(हे) आचार्य! आपके बुद्धिमान्‌ शिष्य द्रुपद के पुत्र ((धृष्टद्युम्न)) के द्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई
पांडु-पुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिये।

Leave a Reply