Gita Chapter-1 Shloka-23
SHLOKA
योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।।1.23।।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।।1.23।।
PADACHHED
योत्स्यमानान्_अवेक्षे_अहम्, ये, एते_अत्र, समागता:,
धार्तराष्ट्रस्य, दुर्बुद्धे:_युद्धे, प्रिय-चिकीर्षव: ॥ २३ ॥
धार्तराष्ट्रस्य, दुर्बुद्धे:_युद्धे, प्रिय-चिकीर्षव: ॥ २३ ॥
ANAVYA
दुर्बुद्धे: धार्तराष्ट्रस्य युद्धे प्रियचिकीर्षव: ये एते अत्र
समागता: (एतान्) योत्स्यमानान् अहम् अवेक्षे।
समागता: (एतान्) योत्स्यमानान् अहम् अवेक्षे।
ANAVYA-INLINE-GLOSS
दुर्बुद्धे: [दुर्बुद्धि], धार्तराष्ट्रस्य [दुर्योधन का], युद्धे [युद्ध में], प्रियचिकीर्षव: [हित चाहने वाले], ये [जो-जो], एते [ये ((राजा लोग))], अत्र [इस ((सेना)) में],
समागता: [आये हैं], {(एतान्) [इन]}, योत्स्यमानान् [युद्ध करने वालों को], अहम् [मैं], अवेक्षे [देखूँगा।],
समागता: [आये हैं], {(एतान्) [इन]}, योत्स्यमानान् [युद्ध करने वालों को], अहम् [मैं], अवेक्षे [देखूँगा।],
ANUVAAD
दुर्बुद्धि दुर्योधन का युद्ध में हित चाहने वाले जो-जो ये ((राजा लोग)) इस ((सेना)) में
आये हैं (इन) युद्ध करने वालों को मैं देखूँगा।
आये हैं (इन) युद्ध करने वालों को मैं देखूँगा।