SHLOKA (श्लोक)
स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्।।1.19।।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्।।1.19।।
PADACHHED (पदच्छेद)
स:, घोष:, धार्तराष्ट्राणाम्, हृदयानि, व्यदारयत्,
नभ:_च, पृथिवीम्, च_एव, तुमुल:, व्यनुनादयन् ॥ १९ ॥
नभ:_च, पृथिवीम्, च_एव, तुमुल:, व्यनुनादयन् ॥ १९ ॥
ANAVYA (अन्वय-हिन्दी)
च स: तुमुल: घोष: नभ: च पृथिवीम्
एव व्यनुनादयन् धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।
एव व्यनुनादयन् धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।
Hindi-Word-Translation (हिन्दी शब्दार्थ)
च [और], स: [उस], तुमुल: [भयानक], घोष: [शब्द ने], नभ: [आकाश], च [और], पृथिवीम् [पृथ्वी को],
एव [भी], व्यनुनादयन् [गुँजाते हुए], धार्तराष्ट्राणाम् [धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्ष वालों के], हृदयानि [हृदय], व्यदारयत् [विदीर्ण कर दिये।],
एव [भी], व्यनुनादयन् [गुँजाते हुए], धार्तराष्ट्राणाम् [धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्ष वालों के], हृदयानि [हृदय], व्यदारयत् [विदीर्ण कर दिये।],
हिन्दी भाषांतर
और उन भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को
भी गुँजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्ष वालों के हृदय विदीर्ण कर दिये।
भी गुँजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्ष वालों के हृदय विदीर्ण कर दिये।