Gita Chapter-1 Shloka-22

SHLOKA

यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे।।1.22।।

PADACHHED

यावत्_एतान्_निरीक्षे_अहम्‌, योद्धु-कामान्_अवस्थितान्‌,
कै:_मया, सह, योद्धव्यम्_अस्मिन्_रण-समुद्यमे ॥ २२ ॥

ANAVYA

यावत्‌ अहम्‌ (युद्धक्षेत्रे) अवस्थितान्‌ योद्धुकामान्‌ एतान्‌ निरीक्षे
अस्मिन्‌ रणसमुद्यमे मया कै: सह योद्धव्यम्‌।

ANAVYA-INLINE-GLOSS

यावत् [((और)) जब तक ((कि))], अहम् [मैं], (युद्धक्षेत्रे) अवस्थितान् [((युद्ध-क्षेत्र में)) डटे हुए], योद्धुकामान् [युद्ध के अभिलाषी], एतान् [इन ((विपक्षी योद्धाओं)) को], निरीक्षे [भली प्रकार देख लूँ ((कि))],
अस्मिन् [इस], रणसमुद्यमे [युद्धरूप व्यापार में], मया [मुझे], कै: [किन-किन के], सह [साथ], योद्धव्यम् [युद्ध करना योग्य है ((तब तक उसे खड़ा रखिये))।],

ANUVAAD

((और)) जब तक ((कि)) मैं (युद्ध-क्षेत्र में) डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन ((विपक्षी योद्धाओं)) को भली प्रकार देख लूँ ((कि))
इस युद्धरूप व्यापार में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है ((तब तक उसे खड़ा रखिये))।

 

Similar Posts